Mitti – Ek Pehchaan Webseries Review: ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर इन दिनों गांव की कहानियों की खास मांग देखी जा रही है। जिस तरह से पंचायत वेब सीरीज ने दर्शकों को ग्रामीण भारत की ज़िंदगी से जोड़ा, उसके बाद इस तरह की सीरीज को देखने वालों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। हाल ही में पंचायत सीजन 4 आया, जिसे लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आईं। लेकिन अब एक नई सीरीज ने रिलीज़ होते ही दर्शकों का दिल जीत लिया है और इसे भी पंचायत जितना ही प्यार मिलने लगा है। आज के पोस्ट में हम इसी सीरीज के बारे में बात करेंगे।
ओटीटी पर ग्राम चिकित्सालय, सरपंच साहब और पंचायत सीजन 4 के बाद एक और नई ग्रामीण पृष्ठभूमि वाली सीरीज ने तहलका मचा दिया है। गांव की मिट्टी से जुड़ी इस सीरीज को न सिर्फ बेहतरीन रिव्यू मिले हैं, बल्कि इसकी कहानी और अभिनय ने भी लोगों को भावुक कर दिया है। इस सीरीज का नाम है ‘मिट्टी – एक पहचान’ और इसकी लोकप्रियता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है।
‘Mitti – Ek Pehchaan’ को मिला पंचायत जैसा प्यार
इस सीरीज की खास बात यह है कि यह सिर्फ गांव की झलक नहीं दिखाती, बल्कि वहां के सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को गहराई से पेश करती है। मिट्टी – एक पहचान की कहानी किसानों के संघर्ष, कर्ज़ की समस्या और आधुनिक खेती के विचार को लेकर बुनी गई है। इसमें मुख्य भूमिका में नज़र आए हैं ईश्वाक सिंह, जिन्हें इससे पहले ‘पाताल लोक’ में देखा गया था।
ईश्वाक सिंह ने ‘राघव शर्मा’ का किरदार निभाया है, जो अपने करियर को छोड़कर अपने गांव लौट आता है। उनके अभिनय ने दर्शकों को प्रभावित किया है। यही वजह है कि सीरीज को IMDb पर 8.5 की शानदार रेटिंग मिली है। इसे आप अमेज़न प्राइम वीडियो (Amazon Prime Video) पर देख सकते हैं।
सीरीज की कहानी में है भावनाओं और बदलाव का मेल
सीरीज की शुरुआत होती है एक कॉर्पोरेट जॉब से जुड़े राघव शर्मा से, जिनकी ज़िंदगी दिल्ली की बड़ी कंपनी में सेट है। लेकिन एक दिन उनके पिता का फोन आता है और उन्हें दादा जी के निधन की खबर मिलती है। इसके बाद वह गांव पहुंचते हैं और वहां की हालत देखकर चौंक जाते हैं।
जब वह अपने दादा का कर्ज़ चुकाने बैंक जाते हैं, तो वहां उनके दादा के साथ किए गए बुरे व्यवहार से उनका दिल टूट जाता है। इसी घटना के बाद वह तय करते हैं कि वह अब गांव छोड़कर नहीं जाएंगे और मॉडर्न फार्मिंग के जरिए यह साबित करेंगे कि खेती से भी करोड़ों की कमाई की जा सकती है।
पंचायत से कहीं आगे निकलती नज़र आ रही है यह कहानी
मिट्टी – एक पहचान सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं है, यह उस संघर्ष की दास्तान है जो आज का युवा अपने गांव और मिट्टी से जुड़कर कर सकता है। यह दिखाती है कि ‘जब कोई शिक्षित व्यक्ति अपनी जड़ों को अपनाता है, तो कैसे बदलाव ला सकता है।‘
पंचायत जहां हमें एक सरकारी नौकरी के ज़रिए गांव की कहानी दिखाती है, वहीं Mitti एक व्यक्तिगत संघर्ष और आत्म-परिवर्तन की गहराई को सामने लाती है।